नाचा
नाचा छत्तीसगढ़ का सर्वप्रमुख लोकनाट्य है यह बस्तर के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के अधिकांश भागों में नाचा का प्रचलन है| दुलार सिंह मंदराजी नाचा के भीष्म पितामह माने जाते है| यह मुख्यतः देवार जाति में लोकप्रिय है| नाचा का उदभव गम्मत से माना जाता है, जो मराठा सैनिकों के मनोरंजन का साधन था| यह अपने आपस में एक सम्पूर्ण नाट्य विधा है| प्रहसन और व्यंग्य इसके मुख्य स्वर है| नाचा का आयोजन किसी भी अवसर पर पूरी रात के लिए किया जाता है| नाचा के अंतर्गत गम्मत का विशेष महत्व होता है| इनमे हास्य व्यंग्य का पुट पाया जाता है| इनमें जोक्कड़ (जोकर) की अहम भूमिका होती है| हबीब तनवीर ने मृच्छकटिकम से लेकर शेक्सपीयर ब्रेस्ट के नाटकों का मंचन नाचा शैली में करके इस नाट्य शैली को उन्होंने अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई है| पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर नाचा के ख्यातिलब्ध कलाकार हैं|
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