यह छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय परम्परागत पर्व है| इस पर्व में पत्नी अपने पति की लम्बी आयु व उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए बिना अन्न एवं जल ग्रहण किए उपवास रखती है| पति-पत्नी के गहरे आत्मीय बंधन की आस्था इस पर्व में देखते बनती है| छत्तीसगढ़ में यह पर्व घर-घर प्रचलित है| भाद्र माह के अवसर पर विवाहिता स्त्रियां अपने ससुराल से मायके जाती है और शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करते हुए इस पर्व को मनाती है|
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