कोल जनजाति

  • यह मुण्डा समहू की प्राचीन जनजाति है| 
  • इसका उल्लेख ऋग्वेद, मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण, महाभारत एवं रामायण आदि प्राचीन ग्रंथो में भी हैं| 
  • कोल जनजाति के लोग अपना संबंध शबरी से मानते है| 
  • ये अधिकांशतः खुले स्थानों पर अपना गांव बसाते हैं| 
  • इस समूह लोग पूरे वस्त्र धारण करते हैं| 
  • इनमे टोटम का कोई प्रचलन नहीं होता है| 
  • रौतिया, रौतेली, दशेरा, थाकुरिया, कगवारिया कोल के उपवर्ग हैं| 
  • इनमे कई गाँवों की एक पंचायत होती है, जो इनके मध्य विवादों को निपटाया जाता है| 
  • कोल अधिकांशतः खेतिहर मजदुर होते हैं| 
  • कोल समूह के लोग हिन्दू देवी-देवताओ की पूजा करते हैं| 
  • ये लोग जादू टोने पर भी विश्वास रखते हैं| 
  • कोल एक कला संस्कृति संपन्न जनजाति है| कोलदहका इनका प्रसिद्ध आदिम नृत्य है| 




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