गोंड़ जनजाति

  • यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जनजाति समूह है| 
  • छत्तीसगढ़ में कुल जनजाति के 55 प्रतिशत गोंड़ समुदाय के हैं| 
  • यह प्रदेश में मुख्यतः दक्षिणी राजनांदगांव, कांकेर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा  जिले में केंद्रित है| 
  • गोंड़ जनजति की बोली गोंड़ी द्रविड़ियन मूल की है| 
  • गोंड़ मुख्यतः कमर के निचे वस्त्र पहनते हैं| इनका मुख्य आभूषण "गोदना" होता है| 
  • मोटे आनाज से बना पेय पदार्थ "पेज" इन्हें अत्यधिक प्रिय है| 
  • गोंड जनजाति के लोग एकविवाही होते है, बहुविवाह की भी मान्यता होती है| 
  • गोंड़ों में ममेरे-फुफेरे भाई-बहन में विवाह अधिमान्य होता है, जिसे "दूध-लौटावा" कहते है| 
  • गोंड़ों में अतिथि सत्कार का विशेष महत्व होता है| प्रत्येक घरों में अतिथि के लिए साफ-सुथरा और छोटा कमरा बनाया जाता है| 
  • गोंड मुख्यतः आखेटन, पशुपालन एवं स्थानांतरित कृषि पर निर्भर थे, किन्तु वर्तमान समय में गोंड़ प्रायः स्थायी कृषि करने लगें हैं| 
  • दुल्हादेव, गोंड़ जनजाति समूह का प्रमुख देवता हैं| बूढ़ादेव, सूरजदेव, नारायण देव आदि देवता भी महत्वपूर्ण है| 
  • गोंड़ कला-संस्कृति संपन्न, सैंदर्य प्रिय जनजाति है|  
  • छत्तीसगढ़ में गोंड़ जनजाति के सर्वाधिक उप-जाति (41) पायी जाती है| 
  • नवाखानी, बिदरी, बाकपंथी, जवारा, मड़ई आदि प्रमुख पर्व हैं| 
  • गोंड़ों अनेक नृत्य प्रचलित हैं, जिनेम करमा, सुआ, भड़ौनी, बिरहा, गेंड़ी, कहरवा आदि प्रमुख है| 




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