द्वितीय पंचवर्षीय योजना दौरान पूर्व सोवियत संघ के तकनिकी सहयोग से इस संयंत्र की स्थापना की गई है|
सन 1959 में तात्कालिक राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रथम चरण का उद्घाटन किया गया|
इस संयंत्र को अब तक 10 बार से ज्यादा उत्कृष्ट एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिए प्रधानमंत्री ट्रॉफी से पुरस्कृत किया गया जा चूका है|
उत्पादकता, गुणवत्ता, सुरक्षा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में भी ISO प्रमाण पत्र भी प्राप्त है|
सन 1961 में यह सार्वजानिक क्षेत्रों में निर्मित अपनी निर्धारित क्षमता को प्राप्त करने वाला पहला संयंत्र बाना(प्रथम चरण पूरा होने के बाद)
सन 1962 में भिलाई इस्पात संयंत्र का विस्तार होने शुरू हुआ|
इस संयंत्र द्वारा रेल की पटरियाँ, रेल के पहिए, इस्पात की प्लेट, स्लैब, छड़, ढलवाँ लोहा आदि का निर्माण किया जाता है|
इस संयंत्र द्वारा जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय अनुसंधान केंद्र(सेक्टर-9 अस्पताल) स्थापित है|
प्रदेश का सबसे बड़ा उद्यान एवं चिड़िया घर "मैत्री बाग" भी इस संयंत्र द्वारा स्थापित है|
इस संयंत्र को लौह अयस्क की आपूर्ति दुर्ग जिले से दल्लीराजहरा, बिलासपुर से डोलोमाइट, दुर्ग से चूना, मलाजखण्ड बालाघाट (मप्र) से मैगनीज, झारखण्ड से कोकिंग कोल ऑयल तथा सामान्य श्रेणी का कोयले कोरबा से की जाती है|
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