छत्तीसगढ़ के लोकपर्वों में जंवारा का प्रमुख स्थान है| यह पर्व वर्ष में दो बार क्वांर व चैत्रमास में नवरात्रि का आयोजन होता है| चैत्र नवरात्रि में जंवारा बोन का पर्व मनाया जाता है| इस दौरान ज्योति स्थापित करने के साथ गेंहू, जौ, अरहर, मुंग, आदि जैसे स्थानीय अनाजों की क्यारी व बांस की टोकरी में मिट्टी भरकर पौधे उगाए जाते हैं, जिसे जंवारा कहते है| आठवें दिन यज्ञ करके नौवें दिन आकर्षक झांकी के साथ इसे स्थानीय तालाब या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है| समस्त जंवारा को तालाब या नदी में नहीं छोड़ा जाता है, बल्कि कुछ हिस्सों को टोकरी में रखकर वापस ले आते हैं| फिर इसे मित्रों एवं परिजनों को वितरित किया जाता है|
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