छत्तीसगढ़ के भाषा एवं बोलियां

छत्तीसगढ़ की बोलियों को मुख्यतः 3 भाषा परिवारों में बांटा गया है| ये भाषा परिवार निम्नलिखित रूप में हैं-

1. मुण्डा भाषा परिवार 

  • दक्षिण बस्तर- गदबा
  • मध्य मुण्डा- खाड़ियां
  • उत्तरी मुण्डा- कोरवा 

2. द्रविड़ भाषा परिवार

  • दक्षिण द्रविड़- मुड़िया, माड़िया, दोरली, अबुझमाड़िया 
  • मध्य द्रविड़- परजी या धुरवी 
  • उत्तरी द्रविड़- कुड़ूख या उरांव

3. आर्य भाषा परिवार

  • अर्द्ध मागधी- छत्तीसगढ़ी 
  • मागधी- उड़िया, भतरी 
  • पिजनीकृत- हल्बी, सदरी

➧ छत्तीसगढ़ में लगभग 93 भाषा बोलियों का व्यवहार होता है| 

➧ छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक छत्तीसगढ़ी एवं इसके बाद हल्बी बोली का प्रयोग होता है|

➧ छत्तीसगढ़ी भाषा में कुल 10 स्वर ध्वनियाँ होती है| 

➧ छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में मुख्यतः आर्य भाषा समूह का प्रयोग होता है, जब्कि ज्यादातर जनजातीय क्षेत्रों में मुख्यतः द्रविड़ भाषा समूह एवं मुंडा भाषा समूह की बोलियां प्रचलित है| 

➧ छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली छत्तीसगढ़ी भाषा को राज्य का राज्यभाषा घोषित की गई है| 

➧ गोंड़ी द्रविड़ भाषा समूह की बोली है, यह छत्तीसगढ़ में जनजातियों द्वारा बोली जाने वाली सर्वप्रथम बोली है| 

➧ छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राचीन काल में "कोसली" कहा जाता था| 

➧ कुड़ूख बोली का प्रयोग मुख्यतः उरांव जनजाति के लोग करते हैं| 

➧ कुड़ूख पर छत्तीसगढ़ी, हिंदी,और सदरी का व्यापक प्रभाव है|





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