यह मिट्टी लाल शैलों से निर्मित होने के कारण इसका रंग लाल ईंट के समान होता है|
छत्तीसगढ़ के रहवासी इसे स्थानीय भाषा में भाठा जमीन या मुरमी कहते है|
इसका मिट्टी का PH मान 7 से अधिक होता है|
इस मिट्टी का विस्तार राज्य के ऊंचाई वाले प्रदेशों में है|
यह चाय, बागानी फसलों के उत्तम होता है|
इस मिट्टी में निक्षालन की प्रक्रिया होती है|
इस प्रकार के मिट्टी में कंकड़ बहुतायत में मिली होती है|
इस मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी रहती है तथा कम उपजाऊ होती है|
कठोरता एवं कम आर्द्रताग्राही होने के कारण यह भवन निर्माण एवं कृषि से भिन्न कार्यों के लिए यह मिट्टी उत्तम होती है|
यह मिट्टी कृषि कार्य के लिए अनुपयुक्त मानी जाती है|
जल का बहाव निरंतर होते रहने से इस प्रकार की मिट्टी अपनी उर्वरा शक्ति खो देती है|
जलग्रहण क्षमता कम होने के साथ-साथ इस मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों का भी आभाव होता है|
इस प्रकार के मिटटी में अल्युमिना, सिलिका तथा लोहे की ऑक्साइड की अधिकता तथा चुना, फॉस्फोरस तथा पोटाश का आभाव होता है|
इस प्रकार मिट्टी सरगुजा जिले मैनपाट पठार के दक्षिणी भाग तथा उससे जुड़े बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर, दुर्ग में बेमेतरा आदि तथा बस्तर संभाग में जगदलपुर के आस-पास पायी जाती है|
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