करमा नृत्य

करमा नृत्य छत्तीसगढ़ का सर्वप्रथम जनजाति लोक नृत्य है| यह नृत्य "कर्म" या "करमा देवता" को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है| यह नृत्य किसी विशेष जनजाति तथा क्षेत्र से संबन्धित नहीं है, अपितु छत्तीसगढ़ के समस्त जनजातियों द्वारा सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में यह नृत्य प्रचलित है| करमा नृत्य वस्तुतः जीवन चक्र का कलात्मक अभिव्यक्ति है| करमा नृत्य वर्षा ऋतु को छोड़कर वर्षभर किया जाता है| 
यह पुरुषों एवं स्त्रियों का सामूहिक नृत्य है| इस नृत्य के दौरान नर्तक पगड़ी एवं मयूर पंख से सजा रहता है तथा विशिष्ट रंग के वस्त्रों का प्रयोग करता है| इस नृत्य में प्रायः आठ पुरुष एवं आठ स्त्रियां नृत्य करते हैं| इस नृत्य में "मांदर" प्रमुख वाद्य है| यह नृत्य विशिष्ट लय एवं ताल में किया जाता है| 





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