- यह राज्य में दूसरा सर्वाधिक क्षेत्रफल पर पायी जाने वाली मिट्टी है|
- यह मिट्टी ग्रेनाइड और नीस के अवक्षरण से बानी है|
- यह राज्य में 20-25% भाग में विस्तृत है|
- आर्कियन्स तथा धारवाड़ इस मिट्टी की मौलिक चट्टानें हैं|
- आयरन ऑक्साइड के अधिकता के कारण इस मिट्टी का रंग लाल होता है|
- इस मिट्टी में बालू, क्ले तथा कंकड़ की मात्रा ज्यादा होती है, जिसके कारण इसकी जलधारण क्षमता कम होती है|
- इसमें लाल हेमेटाइट और पीले लिमोनाइट या लोहे के आक्साइड के मिश्रण के रूप में होने से लाल, पीला या लालपन लिये हुए रंग होता है|
- इस मिट्टी में लोहा, अल्युमिना तथा क्वार्ट्ज के अंश मिलते है|
- इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, चुना तथा ह्यूमस की मात्रा कम होती है, जिसके कारण इसकी उर्वरता बहुत कम है|
- जलधारण तथा उर्वरता कम होने के कारण यह मृदा मोटे अनाज के लिए उपयुक्त है|
- इस मिट्टी में कोदो-कुटकी, ज्वार, बाजरा, मक्का प्रमुख फसल है|
- वृक्षारोपण हेतु यह मिट्टी उत्तम होती है|
- दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, राजनांदगांव, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, नारायणपुर, बीजापुर आदि जिलों में इस मिट्टी की प्रधनता है|
- इस मिटटी के कारण दंतेवाड़ा जिला मोटे अनाज के लिए अग्रणी जिला है|
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