छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक

राजकीय चिन्ह 

36 गढ़ो के बीच सुरक्षित विकास की अदम्य आकांक्षा को दर्शाता गोलाकार चिन्ह, जिसके मध्य में भारत का  प्रतीक अशोक स्तम्भ जिसमे दृश्यमान तीन शेर, आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते, राज्य की प्रमुख फसल धान की सुनहरी बालियों, भरपूर ऊर्जा के प्रतिक के बीच राष्ट्रध्वज के तीन रंगो के साथ छत्तीसगढ़ की नदियों को रेखांकित करती लहरें हैं| प्रतीक


स्वीकृति- 4 सितंबर 2001 
  • 36 किले(हरा रंग) - राज्य की समृद्धि और  संपदा एवं नैसर्गिक सुंदरता का प्रतीक  
  • वृत्ताकार परिधि - राज्य के विकास की निरंतरता का प्रतीक 
  • धन की बालियां(सुनहरा रंग) - कृषि प्रधान राज्य का प्रतीक 
  • लहराती रेखाएं - जल संसाधन, नदियों का प्रतीक 
  • अशोक स्तम्भ(लाल रंग )- भारत देश का प्रतीक 
  • विद्द्युत संकेत(नीला रंग) - ऊर्जा राज्य का प्रतीक 

राजकीय पशु 

मध्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में पाये जाने वाले सर्वाधिक शुद्ध नस्ल का वन भैंसा को राज्य पशु का सम्मान दिया गया है| वन भैंसा का वैज्ञानिक नाम Bubalus Bubalis है| यह प्रदेश के दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक है|



बीसवीं सदी के शुरुआत में ये प्रजातियां अमरकंटक से लेकर बस्तर तक क्षेत्र में बहुत अधिक संख्या में पाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई| वर्तमान में छत्तीसगढ़ में वन भैंसा मुख्यतः दंतेवाड़ा जिले के इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान एवं उदन्ती अभ्यारण्य में पाया जाता है|

छत्तीसगढ़ में इनकी दर्ज संख्या बहुत कम है, जिन्हें अब सुरक्षित घेरे में रखकर उनका प्रजनन कार्यक्रम चलाया जा रहा है और इन्हें शिकार से बचाने एवं इनके रहवास को ध्यान में रखते हुए इन्हें संरक्षित किये जाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार का विशेष प्रयास है| 

राजकीय पक्षी 

भारत में बड़ी संख्या में पायी जाने वाली पहाड़ी मैना को छत्तीसगढ़ में विशिष्ट सम्मान प्राप्त है और इसे प्रदेश का राजकीय पक्षी भी घोषित किया गया है| छत्तीसगढ़ में यह बस्तर जिले में पाया जाता है| पहाड़ी मैना का संरक्षण जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में किया जाता है|  


पहाड़ी मैना का पूरा शरीर चमकीला काला रंग का होता है, जिसमे बैंगनी और हरे रंग की झलक रहती है| मैना के पंख पर एक सफेद रंग का चित रहता है और आँखों के पीछे से गुद्दी तक फीते की तरह पिले रंग की होती है| इसका भोजन फल-फूल कीड़े-मकोड़े तो है ही साथ ही यह फूलों का रस भी खूब पीती है| मादा पहाड़ी मैना फरवरी और मई के बीच में दो-तीन नीले और हरे रंग के मिश्रण वाले अंडे देती है|

पहाड़ी मैना से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 

  • पहाड़ी मैना एक छोटा और सर्वाहारी पक्षी होता है|
  • यह सदाबहार जंगलों तथा नम पतझड़ वाले वनों में पाई जाती है| 
  • पहाड़ी मैना का आकार 28-30 सेंटीमीटर के बीच होता है| 
  • इस पक्षी का वजन 200 ग्राम से लेकर 250 ग्राम तक होता है| 
  • उड़ते समय पहाड़ी मैना का सफेद पंख दिखाई देता है, लेकिन जब यह बैठे रहती है तो यह दिखाई नहीं देती है| 
  • पहाड़ी मैना की चोंच और मजबूत पैर नारंगी पीले रंग की होती है| 
  • यह देश में पर्याप्त संख्या में पाई जाती है| इसलिए इसे वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत कम चिंता वाले पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है| 
  • मैना की तरह पहाड़ी मैना भी झगड़ालु पक्षी है| यह लड़ाई में अपने पंखो का उपयोग करते हैं| 
  • पहाड़ी मैना एक बार में 2 से 3 अंडे देती है| इन अंडों को लगभग 14 से 18 दिन तक सेआ जाता है| 
  • अंडों का सेआ का कार्य नर और मादा दोनों मिलकर पूरा करते हैं| 

राजकीय वृक्ष 

प्रदेश के बस्तर जिले में पाये जाने वाला द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष साल या सरई को छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष के रूप में सम्मान प्राप्त है| इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम Shorea Robusta है| यह बस्तर में सर्वाधिक रूप में पाया जाता है| इसलिए बस्तर को "साल वनों का द्वीप" कहा जाता है| 

साल वृक्ष से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 

  • साल या सरई एक वृंदवृत्ति एवं अर्द्धपर्णपाती वृक्ष होती है| 
  •  साल वृक्ष की लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है| 
  • इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी मजबूत तथा भूरे रंग की होती है| 
  • अपने आप को विभिन्न प्राकृतिक वासकारकों के अनुकूल बना लेना इसका मुख्य लक्षण है| 
  • यह 9 सेंटीमीटर से लेकर 508 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले स्थानों से लेकर अत्यंत उष्ण तथा ठंडे स्थानों तक में आसानी से उग सकता है| 
  • भारत के अलावा बर्मा तथा श्रीलंका देश को मिलाकर साल की कुल 9 जातियां है, जिसमे Shorea  Robusta मुख्य है| 
  • इससे निकलने वाला रेजिन अम्लीय होता है और धूप तथा औषधि के रूप में प्रयोग होता है| 
  • इस वृक्ष की उपयोगिता मुख्यतः इसकी लकड़ी होती है, जो अपनी मजबूती और प्रत्यास्थता के लिए प्रख्यात है| 
  • रेलवे लाइन में इस लकड़ी का अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है|




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