आर्कियन शैल समूह

  • यह पृथ्वी की प्राचीनतम एवं कठोर चट्टान होती है| 
  • यह भू-गर्भ में अधिक गहराई पर पाया जाता है|
  • इस समूह  के चट्टाने मुख्यतः लावा के ठंडा होने से निर्मित होती है|
  • इस समूह के चटानों में जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं|
  • इन चट्टानों के अपरदन से हल्की रेतीली मिट्टी बनती है, जो कृषि कार्य के लिए अधिक उपजाऊ नहीं होती है पर मोटे अनाजों के उपयुक्त है| 
  • यह लगभग सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में पाया जाता है|
  • इस शैल समूह का विस्तार सरगुजा संभाग के चांगभखार क्षेत्र से नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ की पहाड़ियों के मध्य है| 
  • यह लगभग छतीसगढ़ के 50 प्रतिशत भाग(49.08%) पर विस्तृत है| 
  • छतीसगढ़ में आर्कियन युग की प्रमुख चट्टान ग्रेनाइड, शिस्ट आदि है| 
  • इन चट्टानों में छत्तीसगढ़ में ग्रेनाइड, फेल्सपार, क्वार्टज, हार्नब्लैण्ड बायोटाइट खनिज पाया जाता है|

इन क्षेत्रों में यह चट्टान पाय जाता है

भाघेलखण्ड का पठार: 
  • अंबिकापुर क्षेत्र| 
जशपुर -सामरी पाट:
  • सामरी, लुण्ड्रा, सीतापुर
  • जशपुर, बगीचा, कुनकुरी 
  • पत्थलगांव क्षेत्र 
छत्तीसगढ़ का मैदान: 
  • घरघोड़ा(रायगढ़)
  • उत्तर पश्चिम में कोटा, पेण्ड्रा, लोरमी तथा पंडरिया
  • दक्षिण में महासमुंद, राजिम, गरियाबंद, कुरुद, धमतरी, डौंडीलोहाराबालोद आदि| 
दण्डकारण्य का पठार:
  • कांकेर, नारायणपुर 
  • बीजापुर, दंतेवाड़ा
  • कोंडागांव, चारामा 




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